Published on: November 11, 2024
ये कहानी है बेला पुर गाँव में रहने वाली शन्नो की जिसको बचपन से गहनों का बड़ा शौक था। जब वो छोटी थी तब भी वो बचपन से गहने लाद कर रखा करती। जब वो बड़ी हुई तो उसकी शादी गरीब मोहन से हो गई। अब उसका पति उसपर ध्यान तो देता, उसका ख्याल भी रखता, लेकिन उसकी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता।
शन्नो – हाय राम रे! कैसा पति मिला है मुझे। शादी में हार भी दिया तो चाँदी का, वो भी सोने का पानी चढ़वा के।
इतना बोलकर शन्नो अपने कामों में लग जाती है। कुछ देर बाद शन्नो अपनी ननद के कमरे में जाती है तो वो देखती है कि बेड पर सोने की अंगूठी है। उसकी ननद कुछ दिन अपने मायके रहने आई थी और वो नहाने गई थी। मौका पाकर शन्नो उसकी अंगूठी उठाकर अपने कमरे में आ जाती है।
शन्नो (लंबी सांस लेते हुए) – हाय ये सोना-चांदी, मुझे एक दिन बेला पुर गाँव की चोरनी बना कर मानेंगे।
अब शन्नो उस अंगूठी को उठा कर रख देती है। समय बितता है और ऐसे ही शन्नो कभी पड़ोसियों के घर से गहने चुरा लेती, तो कभी अपने मायके वालों के घर से और सब गहने अपनी तिजोरी में छुपा कर रख लेती।
ऐसे ही एक दिन शन्नो की सास कहती है:
सास – शन्नो, जरा पानी भर ला कुएं से। आज सुबह से नलके में पानी नहीं आ रहा है।
शन्नो – माजी, मैं बहुत थक गई हूँ, आप चली जाओ।
सास – देख ले बहु, अगर मैं गई तो तुझे हर्जाना भरना पड़ेगा।
शन्नो (मन में) – शन्नो, तेरी सास तो शेर की सवा शेर है। इससे पहले ये ऐसा कुछ करे, तू ही पानी भर ला।
शन्नो अब पानी भरने जाती है और आते हुए एक पत्थर से उसका पैर लगता है और उसके पैर से खून निकलने लगता है।
शन्नो (दर्द में) – हाय राम, लग गई। अब क्या करूँ, मुझे माजी की बात ही नहीं माननी चाहिए थी। एक काम करती हूँ, मैं इस खंडहर के पास आराम कर लेती हूँ। चल शन्नो, थोड़ी देर यहीं बैठ कर सुस्ता ले।
अब जैसे ही शन्नो थोड़ी देर सुस्ताती है, उसे चूड़ियों की आवाज़ आती है और वो अंदर जाकर देखती है तो उसको सोने की एक चूड़ी मिलती है।
शन्नो – अरे वाह, सोने की चूड़ियां! वैसे भी मुझे सोने की चूड़ियां चाहिए थीं। अब मुझे चूड़ी चुराने की जरूरत ही नहीं क्योंकि मुझे तो इस खंडहर में ही चूड़ियां मिल गईं।
शन्नो खुद से यह बात बोल ही रही होती है कि तभी उसको एक और चूड़ी नजर आती है।
शन्नो – अरे ये क्या, आगे एक और चूड़ी है!
ऐसे ही शन्नो को एक-एक करके चार चूड़ियां मिलती हैं जिसे देख वह खुश हो जाती है और उन्हें पहन कर वह घर आ जाती है। थोड़ी देर बाद वह उन चूड़ियों को उतार कर अपनी अलमारी में रख कर जैसे ही वह अलमारी का शीशे वाला दरवाजा बंद करती है, उसे शीशे में एक साया नजर आता है। अब शन्नो पीछे पलटती है लेकिन उसे कोई नजर नहीं आता।
शन्नो (डरते हुए) – यह क्या हो रहा है मेरे साथ? मुझे ऐसा क्यों लगा कि जैसे मैंने किसी को देखा था। (लंबी सांस लेते हुए) हो सकता है यह मेरा वहम हो।
इस तरह शन्नो एक बार फिर अपने कमरे से बाहर चली जाती है और घर के कामों में लग जाती है। कुछ देर बाद उसे चूड़ियों के खनकने की आवाज़ आती है।
शन्नो – यह चूड़ियां कहाँ से खनक रही हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरी सोने की चूड़ी के बारे में माजी को पता लग गया और वह मेरी चूड़ियां पहन कर मटक रही हैं। अगर ऐसा हुआ तो अनर्थ हो जाएगा। काम तो होता रहेगा, पहले मैं अपनी अलमारी देखूं, कहीं मेरी चूड़ियां बाहर तो नहीं आईं।
इस तरह वह अपने कमरे में जाती है जहां वह देखती है कि अलमारी का सारा सामान फैला हुआ है, यहां तक की सोने की चूड़ियां बेड पर पड़ी हुई हैं।
शन्नो (हैरानी से) – मैंने तो चूड़ियों को अलमारी में रखी थी, फिर यह यहां कैसे और मेरी अलमारी का सारा सामान बाहर कैसे बिखरा हुआ है?
शन्नो को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर सामान किसने फैलाया। इस तरह शन्नो एक बार फिर अपना सामान समेट कर अपने कामों में व्यस्त हो जाती है। अब रात के समय जब वह और उसका पति सो रहे होते हैं तो अलमारी अपने आप खुल जाती है और उस अलमारी से वह चूड़ियां अपने आप निकल कर शन्नो के हाथ में चली जाती हैं। कुछ देर बाद शन्नो के पति को चूड़ियों की आवाज़ आती है।
पति – अरे शन्नो, रात को तो चूड़ियां उतार दो, मेरी नींद टूट रही है।
इस बात से अनजान शन्नो के हाथों में वही सोने की चूड़ियां होती हैं और वह अपने इंसानी रूप में नहीं (chudel ki photo) बल्कि एक शैतानी रूप में होती है। वह अपने पति के साथ सो रही थी, लेकिन जैसे ही उसके पति की आंखें खुलती हैं, वह डर के मारे चींख पड़ता है।
पति: भाग्यवान, मेरी जिंदगी में तुम एक औरत नहीं बल्कि डायन बन कर आई थी। मुझे यह तो पता था लेकिन तुम सच में एक चुड़ैल हो, यह नहीं पता था।
शन्नो – यह कैसी बात कर रहे हैं आप?
इतना बोलकर जब शन्नो की नजर अपनी अलमारी में लगे हुए शीशे पर पड़ती है जहां वह खुद को एक चुड़ैल के रूप में देखती है। काफी डर जाती है। शन्नो अब भागते हुए अपने घर के बाहर निकल जाती है और कुछ ही देर में वह अपना आपा खो देती है।
चुड़ैल की हंसी
शन्नो अब चुड़ैल की हंसी हंसते हुए गांव में इधर-उधर भाग रही थी कि तभी चुड़ैल बनी शन्नो पर गाँव के चौकीदार की नजर पड़ती है।
चौकीदार (डरते हुए): ब ब बचाओ, कोई है? अरे मुझे चुड़ैल से बचाओ!
चौकीदार की आवाज़ सुनकर शन्नो एक मामूली महिला बन जाती है और वह चौकीदार को आवाज देती है।
शन्नो – अरे चौकीदार अंकल, आप मुझसे इस तरह डर क्यों रहे हैं?
फिर शन्नो दुबारा चुड़ैल बन जाती है।
चुड़ैल: भाग कितना भागेगा! मैं इस लड़की के शरीर में तब तक रहूंगी जब तक मुझे मेरा सामान वापस नहीं मिल जाता।
चौकीदार: अरे शन्नो, तू तो चुड़ैल बन गई है। अब क्या करूं? एक काम करता हूं, मैं अपनी जान बचाने के लिए भाग जाता हूं।
इस तरह चौकीदार अपनी जान बचाकर वहां से भाग तो जाता है, लेकिन शन्नो के अंदर की चुड़ैल उसे उसी खंडहर में ले जाती है, जहां से शन्नो ने वह सोने की चूड़ियां उठाई थीं। वह चुड़ैल शन्नो को पूरी रात उस खंडहर में रखती है और अगली सुबह जब उसकी आंख खुलती है तो वो खुद को खंडहर में पाती है, लेकिन उसे पिछली रात का कुछ याद नहीं होता कि वह यहां कैसे आई।
कुछ देर बाद जब वह अपने घर आती है तो वह देखती है कि उसके घर के बाहर भीड़ इकट्ठा हो रखी है।
चौकीदार: अरे भैया, मेरा विश्वास करो सन्नो चुड़ैल बन गई थी और अगर मैं अपनी जान न बचाता तो शायद वो मुझे मार ही देती।
सरपंच (शन्नो के पति से): क्या यह सच है? क्योंकि तुम इसके पति हो तो तुम्हें इसके बारे में सब पता होगा।
पति: जी सरपंच जी, यह सच है। मेरी पत्नी रात के समय चुड़ैल बन जाती है लेकिन उसके ऊपर यह साया कहां से आया यह मैं नहीं जानता।
सरपंच: अगर ऐसी बात है तो हमें शन्नो को बाहर नहीं निकलने देना चाहिए। तुम इसके पति हो, इसलिए तुम्हारा फर्ज है कि तुम रात के समय अपनी पत्नी का ख्याल रखो। अगर तुमने अपनी पत्नी को बांध कर नहीं रखा तो इससे किसी भी गाँव वाले की जान जा सकती है।
इतना बोलकर सरपंच के साथ बाकी के गाँव वाले भी चले जाते हैं। जब शन्नो को यह पता चलता है कि उसके शरीर पर चुड़ैल का साया है, तो उसे बहुत तकलीफ पहुंचती है और वह खुद ही अपने पति को कहती है।
शन्नो: सुनिए जी, रात के समय आप मेरा हाथ चारपाई से बांध देना। अगर मैं बंधी रही तो शायद मैं बाहर न जाऊं और न ही किसी को डरा पाऊं।
शन्नो अपने पति के साथ सो रही होती है कि तभी उसकी प्यास लगती है। जैसे ही वह उठती है तो वह अलमारी के शीशे में देखती है कि उसके बगल में एक चुड़ैल बैठी है और उसके हाथ में वही चूड़ियां हैं, जिन्हें शन्नो ने खंडहर से उठाया था।
शन्नो (डरते हुए) – क कौन हो तुम?
चुड़ैल शन्नो की बातों का कोई जवाब नहीं देती और उसके शरीर में प्रवेश कर जाती है। शन्नो को चुड़ैल बना देख उसका पति उसे सवाल करता है।
पति: कौन है तू?
चुड़ैल: मैं इन चूड़ियों की मालकिन हूं। तेरी पत्नी ने मेरी चूड़ियों को चुराया है। अब जब तक ये चूड़ियां वापस अपनी जगह पर नहीं जाएंगी, तब तक मैं इसके शरीर को नहीं छोड़ूंगी। मैं इसकी जान लेकर ही यहां से जाऊंगी।
पति: अगर मैंने तुम्हारी चूड़ियां तुम्हारे खंडहर में पहुंचा दी तो क्या तुम मेरे गाँव को और मेरी पत्नी को छोड़कर हमेशा के लिए चली जाओगी?
पति की बात सुनकर चुड़ैल हां में जवाब देती है, जिसके बाद शन्नो का पति चुड़ैल की चूड़ियों को उस खंडहर में वापस रख देता है जहां से उसकी पत्नी ने उन चूड़ियों को चुराया था। इस तरह चुड़ैल वहां से चली जाती है और जब शन्नो होश में आती है तो उसका पति उसे समझाता है।
पति: देखो शन्नो, मैं तुम्हारे लिए यह घर तक गिरवी रख दूंगा, लेकिन आज के बाद कहीं से कोई भी सामान मत उठाना क्योंकि एक गलती की वजह से न सिर्फ तुम्हे बल्कि हम लोगों को भी उसका हर्जाना भरना पड़ता है।
इस तरह शन्नो अपने पति की बात मान लेती है और वह अपने पति से वादा करती है कि आज के बाद वह कभी भी कोई सामान नहीं चुराएगी। इसके बाद उसे कभी भी कोई परेशानी नहीं होती।
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