सोने की बारिश

सोने की बारिश

Published on: October 15, 2024

गाँव का मौसम हमेशा की तरह सुहावना था। लोग अपने कामों में लगे हुए थे, लेकिन उस दिन गाँव में कुछ अलग होने वाला था। अचानक एक अजीब सा साधु गाँव में आया। उसकी लंबी सफेद दाढ़ी, घिसे हुए कपड़े, और उसकी रहस्यमयी आँखें गाँववालों को डराने के लिए काफी थीं।


साधु ने गाँव के चौक पर खड़े होकर जोर से आवाज लगाई:


sadhu (गंभीरता से): “जल्द ही यहाँ सोने की बारिश होगी। जो लोग इसका लाभ उठाएँगे, उन्हें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।”


गाँव के लोग इस अजीब भविष्यवाणी को सुनकर हंसने लगे। किसी ने उसे गंभीरता से नहीं लिया।

Ganga (हंसते हुए): “ये साधु तो पागल लगता है! सोने की बारिश? हाहाहा, क्या मजाक है!”


लेकिन गाँव का एक गरीब किसान, रवि, साधु की बातें ध्यान से सुन रहा था। उसका जीवन गरीबी में बीत रहा था। उसके परिवार पर कर्ज का बोझ था, और उसकी पत्नी और बच्चे भूख से परेशान थे।


Ravi (सोचते हुए): “अगर सच में सोने की बारिश हो जाए, तो हमारी जिंदगी बदल जाएगी। काश ये सच हो!”

रवि के दिमाग में यह बात घूमती रही, और साधु की भविष्यवाणी उसके दिल में गहराई से बैठ गई। वह दिनभर यही सोचता रहा कि क्या साधु की बातों में कोई सच्चाई हो सकती है।


अगले दिन से गाँव में अजीब चीज़ें होने लगीं। आसमान में अचानक काले बादल छा गए। मौसम तेजी से बदलने लगा। गाँव में चारों ओर अजीब सी बेचैनी फैल गई।


और फिर वह घड़ी आई, जिसका साधु ने जिक्र किया था। शाम होते ही आसमान से अचानक तेज गरज के साथ कुछ गिरने लगा। पहले लोग समझ नहीं पाए कि यह क्या हो रहा है। लेकिन जैसे ही वे पास आए, उन्हें अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। आकाश से सोने की बारिश हो रही थी!

Ganga (हैरानी से): “ये… ये तो सच में सोने की बारिश हो रही है!”


गाँव के लोग हैरान रह गए। हर कोई दौड़कर सोने की बूँदें इकट्ठा करने लगा। किसी ने थैली निकाली, तो किसी ने अपने कपड़े फैलाकर सोना जमा करना शुरू कर दिया।


रवि भी दौड़कर अपने खेत से निकला और सोने की बारिश में दौड़ते हुए जितना हो सकता था, सोना इकट्ठा करने लगा। उसकी आँखों में चमक थी, और दिल में एक नई उम्मीद जाग गई थी। सोने की चमचमाती बूँदें उसकी जिंदगी में एक बड़ा बदलाव ला सकती थीं।

Ravi (खुश होकर): “मेरे पास अब सब कुछ होगा! मैं अपनी गरीबी मिटा सकता हूँ, बच्चों की पढ़ाई करवा सकता हूँ!”


रवि का दिल खुशी से भर गया था। उसकी आँखों के सामने अमीरी के सपने तैरने लगे। वह सोच रहा था कि अब उसकी जिंदगी आसान हो जाएगी। वह अपनी पत्नी और बच्चों को अच्छे कपड़े और खाना दिला सकेगा।


लेकिन जैसे ही उसने सोने का ढेर इकट्ठा किया, उसे साधु की बात याद आई:


Sadhu (गंभीर स्वर में): “जो भी इस सोने की बारिश का लाभ उठाएगा, उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।”


रवि एक पल के लिए रुक गया। उसके दिल में डर का बीज बोया जा चुका था। उसने सोचा, “क्या मुझे सच में इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी? क्या कोई अनहोनी होने वाली है?”

लेकिन अमीरी का ख्वाब उसके डर पर भारी पड़ा। रवि ने सोना इकट्ठा किया और अपने घर वापस आ गया। उसकी झोली सोने से भरी थी, और उसका दिल उम्मीदों से।


गाँव के सभी लोग अब सोने के मालिक थे। हर कोई सोने की बूँदों को लेकर अपने-अपने घरों में चला गया।


लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि सोने की बारिश का असली परिणाम क्या होगा। साधु की भविष्यवाणी का दूसरा पहलू अब धीरे-धीरे सामने आने वाला था।

सोने की बारिश के बाद गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई थी। हर कोई अमीर बन चुका था। सोना सबके पास था, और लोग अपने-अपने सपने बुन रहे थे। रवि के पास भी अब सोने का ढेर था। लेकिन उसके दिल में एक अजीब सा डर था, जो उसे चैन से सोने नहीं दे रहा था। उसे साधु की चेतावनी याद आ रही थी।

Ravi (चिंतित होकर): “साधु ने कहा था, जो इस सोने को लेगा, उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। पर ये सोना मुझे मेरी गरीबी से निकाल सकता है।”


रवि की पत्नी, रीना, ने उसे समझाते हुए कहा:


Reena (हैरानी से): “रवि, हमें अब खुश होना चाहिए। देखो, हमारे पास अब इतना सोना है। हम अब अमीर हो गए हैं।”


Ravi (संकोच करते हुए): “हाँ, रीना, लेकिन मुझे लगता है कि कुछ गलत होने वाला है। साधु की बात मुझे परेशान कर रही है।”

कुछ दिनों तक गाँव में शांति बनी रही। लोग सोने को बेचकर नए घर और सामान खरीदने लगे। लेकिन अचानक से गाँव में अजीब घटनाएँ घटने लगीं। जिन लोगों ने सबसे ज्यादा सोना इकट्ठा किया था, वे अपनी कीमती चीजें खोने लगे।


पहले गंगा काका की ज़मीन अचानक गाँव के साहूकार ने हड़प ली। उसके बाद मोहन का इकलौता बेटा बुरी तरह बीमार हो गया। गाँव के लोग समझ नहीं पा रहे थे कि यह सब क्यों हो रहा है।

Ganga (घबराते हुए): “यह कैसे हो सकता है? मैं तो बस सोने की बूँदें इकट्ठा कर रहा था, अब मेरी ज़मीन चली गई!”


धीरे-धीरे लोग साधु की भविष्यवाणी को याद करने लगे। गाँव में डर का माहौल बन गया था। जिन लोगों ने सोना लिया था, वे सब अपनी सबसे कीमती चीजें खोने लगे थे।


रवि भी अब डर में जीने लगा था। उसकी पत्नी रीना अचानक बीमार पड़ गई। पहले तो मामूली बीमारी लगी, लेकिन जल्द ही उसकी हालत गंभीर हो गई। डॉक्टरों ने बताया कि रीना की बीमारी लाइलाज है।

Ravi (आँखों में आँसू भरकर): “नहीं, ये सब मेरी गलती है। मैंने लालच किया और अब रीना की जान खतरे में है!”


रवि का दिल टूट गया था। उसकी सारी उम्मीदें सोने के साथ जुड़ी थीं, लेकिन अब वह अपनी पत्नी को खोने वाला था। उसे समझ में आ गया कि साधु की बात सच थी। सोने का लालच उसे अमीर तो बना रहा था, लेकिन उसकी जिंदगी की सबसे कीमती चीज़ छीनने वाला था।

Ravi (आसमान की तरफ देखकर): “हे भगवान! मुझे इस सोने की कोई जरूरत नहीं! मैं अपनी रीना को नहीं खो सकता!”


रवि अब हताश हो चुका था। सोने का उसका सपना अब उसे डरावनी हकीकत में बदलता दिख रहा था। रीना की हालत बिगड़ती जा रही थी, और रवि के पास कोई रास्ता नहीं बचा था।


गाँव में बाकी लोग भी अब डरे हुए थे। वे समझ गए थे कि सोने की बारिश से उनकी खुशियाँ नहीं, बल्कि दुख बढ़ गया था।

रवि ने अपने घर के कोने में रखे सोने को देखा, जो एक समय उसकी उम्मीदों का प्रतीक था, लेकिन अब वह उसे बोझ लग रहा था। वह जानता था कि इस सोने ने ही उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी थी।


रवि ने सोचा, “अगर यह सोना ही मेरी रीना को मुझसे दूर कर रहा है, तो मुझे इसे छोड़ देना होगा।”

रवि की पत्नी रीना की हालत और बिगड़ गई थी। डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी, और रवि के पास अब एक ही रास्ता बचा था—उस साधु को ढूंढना जिसने सोने की बारिश की भविष्यवाणी की थी। रवि जानता था कि अगर कोई उसे इस मुसीबत से निकाल सकता है, तो वह वही साधु था।


रवि ने साधु की तलाश शुरू की और कई दिनों की खोज के बाद, उसे गाँव के बाहर एक घने जंगल में साधु मिल गया।

Ravi (गुस्से और हताशा से): “तूने हमसे झूठ बोला! तूने कहा था कि सोने की बारिश होगी, पर अब मेरी पत्नी मरने वाली है।”


sadhu (शांत स्वर में): “मैंने पहले ही चेतावनी दी थी। इस सोने की बारिश से जो भी लाभ उठाएगा, उसे कीमत चुकानी पड़ेगी। तुमने लालच किया और अब वह कीमत चुकाने का समय आ गया है।”


रवि को साधु की बात सुनकर एहसास हो गया कि सोने का लालच ही उसकी सबसे बड़ी गलती थी। वह अमीर बनने के चक्कर में अपनी पत्नी की जान खोने वाला था।

Ravi (आँसू भरी आँखों से): “मैं यह कीमत नहीं चुकाना चाहता! मुझे मेरी पत्नी वापस चाहिए। यह सोना मेरे किसी काम का नहीं है।”


sadhu (गंभीरता से): “यदि तू अपनी पत्नी को बचाना चाहता है, तो तुझे इस सोने का त्याग करना होगा। सारा सोना जो तूने इकट्ठा किया है, उसे त्याग दे और अपनी पत्नी की जान बचा।”


रवि का दिल बैठ गया। उसने जो सोना इतनी मेहनत से इकट्ठा किया था, वह अब उसे छोड़ने का समय आ गया था। पर उसकी पत्नी की जान उससे ज्यादा कीमती थी।

Ravi (आखिरी फैसला लेते हुए): “मैं सब कुछ छोड़ दूँगा, पर रीना को वापस पा लूँगा।”


रवि ने साधु की बात मानने का निश्चय किया। वह गाँव वापस लौट आया और घर में रखे सारे सोने को एक बोरी में भर लिया। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन दिल में अपनी पत्नी को बचाने की एक आखिरी उम्मीद थी।

गाँव के मंदिर के पास एक पुराना कुआँ था। साधु ने रवि को कहा था कि अगर वह इस सोने को कुएं में फेंक देगा, तो उसकी पत्नी की जान बच जाएगी। रवि ने सोने से भरी बोरी उठाई और कुएं के पास गया।

वह एक-एक करके सोने के सिक्के कुएं में फेंकता जा रहा था, और हर सिक्के के साथ उसका दिल और भारी हो रहा था।


जैसे ही उसने आखिरी सिक्का कुएं में फेंका, एक तेज़ रोशनी सी उसके चारों ओर फैल गई। रवि ने घबराकर चारों तरफ देखा, और तभी एक आवाज आई:


sadhu (आकाश की ओर से): “तेरा त्याग पूरा हुआ। जा, अब तेरी पत्नी ठीक हो जाएगी।”

रवि भागते हुए अपने घर वापस पहुँचा। वहाँ पहुँचते ही उसने देखा कि उसकी पत्नी रीना अब ठीक हो चुकी थी। उसकी आँखें खुली थीं और वह मुस्कुरा रही थी। रवि की आँखों से खुशी के आँसू बह निकले।

Reena (धीरे से): “रवि, मैं अब ठीक हूँ।”


Ravi (संतोष भरी आवाज में): “हाँ, तुम ठीक हो। मैंने सब कुछ खो दिया, लेकिन तुम्हें पा लिया।”


रवि ने समझ लिया था कि असली अमीरी सोने में नहीं, बल्कि अपनों के साथ होने में है। सोने का लालच उसे एक बार अमीर बना सकता था, लेकिन वह अपनी सबसे कीमती चीज़ खोने वाला था—अपनी पत्नी का साथ।

गाँव के बाकी लोग भी यह देखकर समझ गए कि सोने का लालच ही उनकी परेशानी की जड़ था। उन्होंने भी अपने-अपने सोने का त्याग कर दिया। धीरे-धीरे गाँव में शांति लौट आई, और लोगों ने अपनी गलतियों से सीख ली।

Ravi (मन में): “अब मुझे सोने की कोई जरूरत नहीं। मेरे पास मेरा परिवार है, और यही सबसे बड़ी दौलत है।”

रवि और रीना ने एक नई शुरुआत की। सोने की बारिश ने उन्हें यह सिखाया कि असली खुशी और अमीरी रिश्तों में होती है, न कि धन-दौलत में। साधु की भविष्यवाणी सच निकली, लेकिन वह रवि के लिए एक बड़ी सीख बन गई थी।

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