सपनो की उड़ान

सपनो की उड़ान

Published on: October 5, 2024

“आर्यन का दिल बड़ा था, उसकी आँखों में आसमान को छूने का सपना था।” यह पायलट बनने का सपना था।

माँ (मुस्कुराते हुए):
“कहाँ खोया है, बेटा?”

आर्यन (आसमान की ओर देखते हुए):
“माँ, एक दिन मैं भी वहाँ ऊपर उड़ूँगा।”

माँ (नम आँखों से):
“तेरे सपनों की उड़ान को कोई नहीं रोक सकता। मेहनत करता रह, भगवान सब देख रहे हैं।”

“किस्मत ने जैसे आर्यन के परिवार को एक और परीक्षा में डाल दिया। उसका बचपन अब नई जिम्मेदारियों के बोझ तले दबने वाला था।”

आर्यन (चिल्लाते हुए):
“पिता जी!”

(गाँव के लोग दौड़ते हुए आते हैं और उन्हें सहारा देकर घर ले जाते हैं।)

डॉक्टर (गंभीर स्वर में):
“इन्हें अब आराम की सख्त जरूरत है। कोई भारी काम नहीं करेंगे, वरना हालत और बिगड़ सकती है।”

“आर्यन का परिवार अब एक नए संकट का सामना कर रहा था। पिता जी के बिना घर कैसे चलेगा, यह सवाल अब सबके मन में था।”

(डॉक्टर चला जाता है। माँ बगल में बैठी हैं, और पिता की आँखें बंद हैं। आर्यन चुपचाप खड़ा है।)

माँ (पिता की ओर देखते हुए, खुद से):
“अब कैसे चलेगा सब कुछ? आर्यन तो अभी बच्चा है…”

पिता (धीरे से, माँ से):
“मुझे लगता है, मेरा बेटा मेरे कारण अपने सपने कभी पूरे नहीं कर पाएगा। मैंने उसके लिए कुछ भी नहीं किया।”

“पिता के शब्द आर्यन के दिल में गहरे उतर गए। वह सोचने लगा, क्या उसके सपने कभी पूरे होंगे या उसके पिता की हालत के साथ ही उसके सपने भी मर जाएंगे?”

(यह सुनकर आर्यन की आँखों में आँसू आ जाते हैं, लेकिन वह कुछ नहीं कहता।)

आर्यन (गंभीर स्वर में):
“माँ, अब से मैं खेत में काम करूँगा।”

माँ (चौंककर):
“पर तुझे तो स्कूल जाना है, बेटा।”

आर्यन (संकल्प के साथ):
“पिता जी को आराम की जरूरत है। अब मैं घर संभालूँगा।”

“आर्यन के मन में अब एक नया संकल्प जन्म ले चुका था। उसने अपने सपनों को एक तरफ रखकर अपने पिता और परिवार की जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया।”

(माँ उसकी आँखों में देखती है और उसकी पीठ पर हाथ फेरती हैं, समझ जाती हैं कि उनका बेटा अब बचपन की दहलीज पार कर चुका है।)

“आर्यन का बचपन अब बीत चुका था। उसकी उम्र के बाकी बच्चे स्कूल जा रहे थे, सपने देख रहे थे। लेकिन आर्यन का सपना अब जिम्मेदारियों के बोझ तले दब गया था।”

(आर्यन का ध्यान टूटता है जब उसकी माँ उसे आवाज देती है।)

माँ:
“आर्यन, थोड़ी देर आराम कर ले बेटा। बहुत काम कर लिया तूने।”

आर्यन (पसीना पोंछते हुए):
“नहीं माँ, अभी काम बाकी है।”

(आर्यन फिर से हल उठाकर खेतों में काम करने लगता है।)

टीचर:
“आपका बेटा बहुत होशियार है। मैं उसे स्कूल में देखना चाहती हूँ। अगर वह चाहे तो मैं उसे स्कॉलरशिप दिलवाने में मदद कर सकती हूँ।”

माँ (थोड़ी उदासी के साथ):
“अब स्कूल जाना शायद मुमकिन नहीं है। उसके पिता की तबीयत बहुत खराब है, और अब घर का काम वही संभाल रहा है।”

“आर्यन की माँ के दिल में भी आर्यन के लिए सपने थे, लेकिन हालात ने उन सपनों पर पर्दा डाल दिया था।”

माँ (उत्साह के साथ):
“बेटा, आज तेरी टीचर आई थी। कह रही थी कि तुझे स्कॉलरशिप मिल सकती है, अगर तू इंटरव्यू देने जाए।”

आर्यन (हैरान होकर):
“स्कॉलरशिप? लेकिन माँ, मैं कैसे जा सकता हूँ? घर और खेत का सारा काम कौन करेगा?”

माँ (मुस्कुराते हुए):
“तू सब संभाल लेगा, मैं जानती हूँ। एक बार जाकर देख तो सही।”

(आर्यन माँ की बातों से थोड़ा आश्वस्त हो जाता है।)

माँ (प्यार से):
“भगवान तुझे सफल करे बेटा। तेरा सपना पूरा हो, बस यही मेरी दुआ है।”

आर्यन (मुस्कुराते हुए):
“मैं जल्दी आऊँगा, माँ।”

(आर्यन घर से निकलता है, लेकिन तभी अंदर से आवाज आती है।)

“आर्यन की माँ की तबीयत अचानक बिगड़ गई। अब उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी—अपने सपने का पीछा करे या अपनी माँ की जान बचाए?”

(आर्यन की आँखों में चिंता है। वह बिना देर किए माँ को अस्पताल ले जाने की तैयारी करने लगता है।)

(अस्पताल का सीन। डॉक्टर माँ का चेकअप कर रहे हैं। आर्यन बाहर बैठा बेचैनी से इंतजार कर रहा है।)

“आर्यन के सपने फिर से एक मुश्किल मोड़ पर आ गए थे। वह इंटरव्यू के लिए नहीं जा सका, लेकिन अब उसकी माँ की तबीयत उसके लिए सबसे बड़ी चिंता थी।”

(डॉक्टर बाहर आता है।)

डॉक्टर:
“इलाज में थोड़ा समय लगेगा, लेकिन चिंता की बात नहीं है।”

(आर्यन राहत की साँस लेता है, लेकिन उसका चेहरा अभी भी तनाव से भरा है।)

“आर्यन ने उस दिन अपने सपने को एक बार फिर कुर्बान कर दिया था, लेकिन दिल के किसी कोने में उसे अब भी उम्मीद थी। क्या वह अपने सपनों की उड़ान भर सकेगा, या जिम्मेदारियों का यह बोझ उसे हमेशा नीचे खींचता रहेगा?”

(आर्यन अस्पताल की ओर देखता है और फिर धीरे-धीरे आसमान की ओर नज़रें उठाता है। कैमरा ऊपर आसमान की ओर जाता है।)

“शहर की चमक-दमक के बीच, आर्यन खुद को बेहद छोटा महसूस कर रहा था। सपनों का पीछा अब सिर्फ दूर का ख्वाब लगता था, लेकिन उसकी माँ की तबीयत उसके लिए सबसे बड़ी चिंता थी।”

(आर्यन अस्पताल के अंदर जाता है, जहाँ डॉक्टर माँ का इलाज कर रहे हैं। वह डॉक्टर से बात करने के लिए इंतजार करता है।)

डॉक्टर:
“अब आपकी माँ की हालत बेहतर है। उन्हें कुछ दिनों तक यहाँ रुकना होगा, फिर आप उन्हें घर ले जा सकते हैं।”

आर्यन (शांत स्वर में):
“शुक्र है, डॉक्टर साहब।”

(आर्यन थोड़ा राहत महसूस करता है, लेकिन उसके चेहरे पर चिंता और थकान के भाव साफ हैं।)

“माँ की तबीयत ठीक हो रही थी, लेकिन आर्यन के दिल में अब भी वही सवाल गूंज रहा था—क्या उसके सपने अब कभी पूरे हो पाएंगे?”

बूढ़ा आदमी:
“क्या सोच रहा है, बेटे?”

आर्यन (हैरान होकर):
“कुछ नहीं… बस यूँ ही।”

बूढ़ा आदमी (मुस्कुराते हुए):
“सपने बड़े हों, तो मुश्किलें भी बड़ी होती हैं। लेकिन याद रख, उड़ान भरने से पहले तूफ़ान का सामना करना पड़ता है।”

“आर्यन को यह बात सीधे दिल में लगी। क्या यह अजनबी उसकी किस्मत का पैगाम लाया था?”

(बूढ़ा आदमी चाय खत्म करके चला जाता है, और आर्यन सोच में डूबा रह जाता है।)

“शहर की भीड़ में चलते हुए, आर्यन की नज़र एक उड़ान अकादमी के विज्ञापन पर पड़ी। क्या यह वही मौका था, जिसका वह इतने दिनों से इंतजार कर रहा था?”

(आर्यन विज्ञापन को देखकर एक पल रुकता है, फिर वह सीधे अकादमी की तरफ चल पड़ता है।)

ट्रेनर:
“हाँ, क्या मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ?”

आर्यन (संकोच करते हुए):
“जी, मैं पायलट बनना चाहता हूँ, लेकिन…”

ट्रेनर (आर्यन की बात काटते हुए):
“पायलट बनने के लिए सिर्फ सपना नहीं, हिम्मत और मेहनत चाहिए। तुममें वो है?”

आर्यन (साहस जुटाते हुए):
“मैं कोशिश करना चाहता हूँ।”

(ट्रेनर उसकी आँखों में झांकता है, और एक पल के लिए उसे आर्यन की लगन दिखाई देती है।)

ट्रेनर:
“अच्छा, कल आओ, तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू होगी। लेकिन याद रखना, यह आसान सफर नहीं है।”

“आर्यन को पहली बार अपने सपने की ओर एक राह दिखाई दी थी, लेकिन रास्ता अब भी मुश्किल था।”

“आर्यन के मन में खुशी और चिंता दोनों थीं। पायलट बनने की पहली सीढ़ी उसके सामने थी, लेकिन अपनी माँ की देखभाल कैसे करेगा? क्या उसका सपना और जिम्मेदारियाँ साथ-साथ चल पाएँगी?”

(आर्यन उठकर खिड़की के पास जाता है और बाहर की ओर देखता है।)

“आर्यन अब एक नए सफर पर निकलने को तैयार था। पायलट बनने की राह मुश्किल थी, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि क्या वह अपनी माँ की जिम्मेदारी निभाते हुए इस सपने को पूरा कर पाएगा?”

(कैमरा अकादमी के गेट पर ठहरता है, और आर्यन के चेहरे पर गहरी सोच दिखती है।)

“आर्यन ने आखिरकार अपने सपने की ओर पहला कदम बढ़ा लिया था। लेकिन उसके मन में एक ही सवाल था—क्या वह इस सफर को पूरा कर पाएगा?”

ट्रेनर:
“पायलट बनने के लिए मेहनत, अनुशासन और धैर्य चाहिए। तुममें से कई लोग इस सफर को अधूरा छोड़ देंगे, लेकिन जो बने रहेंगे, वही असली पायलट बनेंगे।”

(आर्यन ट्रेनर की बातों को ध्यान से सुनता है, उसका चेहरा दृढ़ है।)

ट्रेनर:
“कंट्रोल्स पर ध्यान दो। विमान की गति और ऊँचाई का सही संतुलन बनाए रखो।”

(आर्यन घबराया हुआ है, लेकिन धीरे-धीरे वह कंट्रोल्स को समझने की कोशिश करता है।)

“आर्यन ने पहली बार अपने सपने को छूने की कोशिश की थी। लेकिन यह सफर जितना सुंदर था, उतना ही कठिन भी।”

(वह विमान को सही से नियंत्रित नहीं कर पाता और अचानक हड़बड़ाकर गलत बटन दबा देता है। विमान हिलने लगता है, और ट्रेनर गुस्से में उसका हाथ पकड़कर कंट्रोल्स ठीक करते हैं।)

ट्रेनर (कठोर स्वर में):
“अगर तुम ऐसा करोगे, तो कभी उड़ नहीं पाओगे। पायलट बनने के लिए हिम्मत चाहिए, डर नहीं।”

(आर्यन शर्मिंदा हो जाता है।)

माँ (मुस्कुराते हुए, कमजोर आवाज में):
“कैसी चल रही है ट्रेनिंग, बेटा?”

आर्यन (झूठी मुस्कान के साथ):
“ठीक चल रही है, माँ। बस कुछ गलतियाँ कर दीं, पर जल्द ठीक कर लूँगा।”

माँ:
“मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है। तू बहुत आगे जाएगा।”

“आर्यन के दिल में चिंता बढ़ रही थी। उसकी माँ की तबीयत दिन-ब-दिन बिगड़ रही थी, और ट्रेनिंग भी आसान नहीं थी।”

(आर्यन माँ का हाथ पकड़कर बैठा रहता है। उसकी आँखों में आँसू हैं, लेकिन वह उन्हें छुपा लेता है।)

ट्रेनर:
“क्या तुम तैयार हो, या तुम्हारा दिल अभी भी कहीं और है?”

आर्यन (हिम्मत जुटाते हुए):
“मैं तैयार हूँ, सर।”

(ट्रेनर आर्यन को फिर से विमान के कॉकपिट में बैठने का निर्देश देते हैं। इस बार आर्यन शांत और एकाग्र है।)

“आर्यन ने ठान लिया था कि वह अपनी गलतियों से सीखेगा और हार नहीं मानेगा।”

ट्रेनर (संतुष्ट होकर):
“इस बार अच्छा किया। यही आत्मविश्वास चाहिए, याद रखना।”

(आर्यन के चेहरे पर हल्की मुस्कान आती है। वह धीरे-धीरे उड़ान भरना सीख रहा है।)

डॉक्टर:
“अब बहुत कम समय बचा है। आप जितना हो सके, उनके साथ समय बिताएँ।”

(आर्यन की आँखें भर आती हैं। वह माँ के पास बैठता है, और उसकी माँ उसे देख रही होती हैं।)

माँ (धीरे से):
“तू अपने सपने की उड़ान भर। मुझे चिंता मत कर, बेटा।”

आर्यन (आँसू रोकते हुए):
“माँ, मैं पायलट जरूर बनूँगा। पर तुझे ठीक होना है।”

“आर्यन के दिल में दर्द और सपने दोनों उमड़ रहे थे। क्या वह अपने सपने और माँ की हालत के बीच तालमेल बिठा पाएगा?”

“यह आर्यन की आखिरी परीक्षा थी। वह अब अपने सपने की उड़ान भरने के सबसे करीब था। लेकिन उसके मन में अपनी माँ का ख्याल बार-बार आ रहा था।”

(वह धीरे-धीरे विमान को हवा में ले जाता है। इस बार उसकी उड़ान बिलकुल सही होती है। ट्रेनर मुस्कुरा रहे होते हैं, और आर्यन का दिल खुशी से भर जाता है।)

(ट्रेनिंग के बाद, आर्यन अकादमी से बाहर आता है और तुरंत अस्पताल जाता है।)

(आर्यन अस्पताल पहुँचता है, लेकिन उसे डॉक्टर से पता चलता है कि उसकी माँ अब नहीं रहीं। वह टूट जाता है और माँ के बगल में बैठता है, उनका हाथ पकड़ता है।)

“आर्यन की माँ उसकी पहली उड़ान देखने के लिए नहीं रहीं, लेकिन उनके आशीर्वाद से आर्यन ने अपनी पहली उड़ान भर ली थी।”

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