Published on: September 6, 2024
बहुत समय पहले की बात है, एक घने और रहस्यमयी जंगल में एक चालाक लोमड़ी और एक भूखा बाघ रहते थे। जंगल के पेड़ इतने ऊँचे थे कि सूरज की रोशनी भी मुश्किल से अंदर पहुँच पाती थी, और यह जंगल जीव-जंतुओं से भरा हुआ था। लेकिन इन दिनों जंगल में सन्नाटा पसरा हुआ था। इसका कारण था एक भूखा और खतरनाक बाघ, जिसने जंगल के जानवरों का जीना मुश्किल कर दिया था।
बाघ पिछले कई दिनों से शिकार नहीं कर पाया था। वह कमजोर हो चुका था, लेकिन उसकी भूख दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी। एक दिन, वह अपनी भूख से परेशान होकर जंगल के बीचों-बीच भटक रहा था। तभी उसकी नजर एक चालाक लोमड़ी पर पड़ी, जो अपनी चालाकी और समझदारी के लिए जानी जाती थी।
बाघ (गहरी आवाज में, लोमड़ी को देखते हुए): “लोमड़ी, मैं कई दिनों से भूखा हूँ। आज मैं तुम्हें खाकर अपनी भूख मिटाऊंगा।”
लोमड़ी (डरते हुए, लेकिन दिमाग में योजना बनाते हुए): “महाराज, आपकी भूख वाकई भयानक है, लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि मैं आपके लिए बहुत छोटा शिकार हूँ? अगर आप मुझे खाएंगे, तो आपका पेट नहीं भरेगा। क्यों न मैं आपको एक बड़ा और स्वादिष्ट शिकार बताऊं?”
बाघ (आंखों में लालच चमकते हुए): “बड़ा और स्वादिष्ट शिकार? मुझे बताओ, वह कहाँ है? मुझे उसकी तलाश में जरा भी देर नहीं करनी चाहिए।”
लोमड़ी (चालाकी से मुस्कुराते हुए): “महाराज, इस जंगल के पार एक विशाल तालाब है। उस तालाब के किनारे एक बड़ा और मोटा भैंसा रहता है। अगर आप उसे पकड़ लेते हैं, तो आपकी भूख कई दिनों के लिए शांत हो जाएगी।”
बाघ की आँखों में लालच की चमक और तेज हो गई। उसने तुरंत लोमड़ी की बात मानने का फैसला किया और उसे तालाब की ओर ले चलने को कहा।
जैसे ही बाघ और लोमड़ी जंगल के घने हिस्से को पार करने लगे, चारों ओर का वातावरण और भी रहस्यमयी और डरावना होता जा रहा था। हवा में अजीब-सी गंध फैली हुई थी, और पेड़ों के पत्ते खड़खड़ाने लगे थे। बाघ की भूख और लोमड़ी की चालाकी के बीच एक अजीब सा खेल चल रहा था। लोमड़ी अपने मन में सोच रही थी कि किस तरह वह इस बाघ से अपनी जान बचा सकती है।
लोमड़ी (धीरे–धीरे चलते हुए, बाघ से): “महाराज, यह तालाब इस जंगल का सबसे गहरा हिस्सा है। यहां पर आकर अक्सर जानवर खो जाते हैं। मुझे लगता है कि हमें और सावधान रहना चाहिए।”
बाघ (अपनी भूख को नियंत्रित करते हुए): “मैं किसी से नहीं डरता। मुझे सिर्फ उस भैंसे तक ले चलो।”
जैसे-जैसे वे तालाब के करीब पहुँचने लगे, बाघ की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। वह अपने शिकार के बारे में सोचकर और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था, जबकि लोमड़ी उसके अगले कदम की योजना बना रही थी। तालाब के पास पहुँचने पर, लोमड़ी ने बाघ से कहा,
लोमड़ी (इशारा करते हुए): “महाराज, वह भैंसा उस तालाब के दूसरी ओर रहता है। लेकिन मुझे आपको एक बात बतानी चाहिए। इस तालाब के अंदर एक और बाघ रहता है, जो आपकी ताकत से भी बड़ा और खतरनाक है।”
बाघ (आश्चर्य से, लेकिन गुस्से में भी): “क्या? मुझसे भी ताकतवर? मुझे तो इस तालाब में कोई बाघ दिखाई नहीं दे रहा।”
लोमड़ी (चालाकी से): “वह इस तालाब के अंदर छिपा हुआ है। अगर आप पानी में झाँकेंगे, तो उसे देख सकेंगे।”
बाघ अब तक अपने ही लालच के जाल में फंस चुका था। उसने लोमड़ी की बात मानकर तालाब के पानी में झाँका। उसे अपनी ही परछाई दिखाई दी, लेकिन उसने सोचा कि यह वही दूसरा बाघ है।
बाघ (गुस्से में गरजते हुए): “तुम मुझसे लड़ने की हिम्मत कैसे कर सकते हो? मैं तुम्हें अभी खत्म कर दूँगा!”
बाघ ने बिना सोचे-समझे तालाब में छलांग लगा दी। जैसे ही वह पानी में कूदा, तालाब के ठंडे और गहरे पानी में उसका शरीर भारी हो गया। वह जितना बाहर निकलने की कोशिश करता, उतना ही गहराई में डूबता जाता।
लोमड़ी ने दूर से यह दृश्य देखा और उसकी आँखों में एक संतोष की चमक आ गई। उसने एक गहरी सांस ली और सोचा,
लोमड़ी (खुद से): “लालच और अंधविश्वास ने आज इस बाघ को उसकी मौत तक पहुँचा दिया। इस जंगल के सभी जानवर अब सुरक्षित हैं।”
लोमड़ी ने अपनी चालाकी से बाघ को हरा दिया था। उसने बाघ के लालच और अहंकार को उसके खिलाफ इस्तेमाल किया और खुद की जान बचा ली। अब वह पूरे जंगल में निडर होकर घूम सकती थी, और बाघ के डर से मुक्त होकर सभी जानवर खुशी से जीने लगे।
लेकिन कहानी यहाँ खत्म नहीं होती। बाघ के डूबने की खबर जंगल में तेजी से फैल गई। जंगल के सभी जानवर लोमड़ी की बुद्धिमत्ता की प्रशंसा करने लगे। लेकिन इस घटना के बाद, लोमड़ी के मन में भी एक नई सीख जागी। उसने समझा कि हर बार चालाकी का सहारा लेना खतरनाक हो सकता है। उसे अपनी समझदारी का इस्तेमाल सही समय और सही कारणों के लिए करना चाहिए।
लोमड़ी (आकाश की ओर देखते हुए): “मैंने आज एक बड़ी जीत हासिल की, लेकिन मुझे अपने ज्ञान का सही उपयोग करना सीखना होगा। इस जंगल में जीवित रहने के लिए बुद्धिमत्ता के साथ-साथ सच्चाई और ईमानदारी भी जरूरी हैं।”
कहानी का शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी ताकत से अधिक बुद्धिमत्ता की आवश्यकता होती है। लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि चालाकी का इस्तेमाल सावधानी से और सही समय पर करना चाहिए। लालच और अहंकार हमेशा नुकसान पहुँचाते हैं।
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